चंद पहरों की जिंदगानी में कितने चेहरे बदल गया सूरज दो घड़ी आँख से ओझल क्या हुआ लोग कहते हैं ढल गया सूरज रात गहराई तो समझ आया सारी दुनिया को छल गया सूरज आज फिर रोज़ की तरह डूबा कैसे कह दें संभल गया सूरज
सूरज की अपनी दिनचर्या, बदल रहा इन्सान। सूरत धरी मोम की इसने, बदल रहा ईमान।। मान्यवर, टिप्पणी देने के लिए इतनी कसरत मत करवाइए। कृपया शब्द पुष्टिकरण से टिप्पणीकार को मुक्त कर दें।
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5 comments:
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
भाई वाह ...बहुत खूब
सूरज की अपनी दिनचर्या,
बदल रहा इन्सान।
सूरत धरी मोम की इसने,
बदल रहा ईमान।।
मान्यवर,
टिप्पणी देने के लिए इतनी कसरत मत करवाइए। कृपया शब्द पुष्टिकरण से टिप्पणीकार को मुक्त कर दें।
sooraj toh doob gaya tujhe kya problem haui?????? bataiyo zara
BADHAI HO
आज फिर रोज़ की तरह डूबा
कैसे कह दें संभल गया सूरज
!Very Nice
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